देश में 24 कंपनियां जीवन बीमा क्षेत्र में काम कर रही हैं। इनमें 23 प्राइवेट कंपनियां वर्ष का सरप्लस जमा होने पर उसका 90 प्रतिशत बीमाधारकों और 10 प्रतिशत शेयर होल्डर्स में बांटती है। जबकि एलआईसी में यह प्रतिशत 95 और 5 प्रतिशत का है। एलआईसी के निजीकरण होने पर यह प्रतिशत प्राइवेट कंपनियों जितना हो जाएगा जिससे गरीब बीमाधारकों के हितों का नुकसान होगा। जयपुर में सोमवार को अखिल भारतीय एलआईसी कर्मचारी महासंघ सम्मेलन का 13वां संस्करण आयोजित किया गया जहां केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रभावों पर चर्चा की गई। यह सम्मेलन जयपुर में पहली बार आयोजित किया जा रहा है।
एआईएलआईसीईएफ के महासचिव राजेश कुमार ने बताया कि इस तीन दिवसीय सम्मेलन में देशभर से 450 से अधिक एलआईसी कर्मचारियों ने भाग ले रहे हैं। सम्मेलन का उद्घाटन श्रम राज्य मंत्री टीकाराम जूली, पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल, एआईटीयूसी की महासचिव अमरजीत कौर, महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष ऐवी नाचनेय, उपाध्यक्ष सुंदर मूर्ति और आयोजन सचिव जीएस राजावत ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
डूबती प्राइवेट कंपनियों में सरकारी कंपनियों का पैसा लगाना गलत
सम्मेलन के पहले दिन महासंघ के पिछले चार साल की रिपोर्ट दी गई जिसमें देश की आर्थिक स्थिति, उद्योग नीतियां, पब्लिक सेक्टर्स के बारे में जानकारी दी गई। एआईटीयूसी की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि व्यवस्थाओं के खिलाफ लडऩे के बारे में हमारा इतिहास ही हमें सिखाता है। आज इंश्योरेंस सेक्टर में जिस प्रकार की नीतियां थोपी जा रही हैं, उस पर सरकार की जवाबदेही होनी चाहिए। एआईएलआईसीईएफ के महासचिव राजेश कुमार ने बताया कि आज कई डूबते प्राइवेट संस्थानों पर सरकारी कंपनियों का पैसा लगाया जा रहा है जो कि गलत है। इससे लोगों का उन कंपनियों के प्रति विश्वास कम हो रहा है।