जगन्नाथ चटर्जी (संवाददाता चांडिल)
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का मामा घर है चांडिल फिर भी अधिकारी नहीं ले रहे सुध..
चांडिल: समय-समय पर जनता को सरकार और पर्यटन विभाग के द्वारा सपने तो दिखाए जाते हैं, पर दिखते वही है जो वास्तव में होता है। हम बात कर रहे हैं जमशेदपुर से सटे सरायकेला जिला स्थित चांडिल डैम की। राज्य की नई सरकार गठन को करीब एक साल होने को है। करीब एक साल बीतने के बाद भी नहीं बदला चांडिल डैम का हाल। चुनाव के दौरान विपक्ष मे रहते जो वादा जनता से किया था, वह वायदा वायदा ही रह गया। जहां शाम होते ही अंधेरा पसर जाता है। चारों ओर से जंगलों से धिरा चांडिल डैम सैलानियों को अपनी और आकर्षित करने वाली नौका बिहार मैं रोशनी की व्यवस्था ना के बराबर है। आप लाख वादे करें परंतु वास्तविक दिख ही जाती है।
चांडिल डैम की सौंदर्यकरण के नाम पर लाखों रुपए खर्च हो चुकी है। मेंटेनेंस और रिपेयरिंग के नाम पर टेंडर भी निकाली जाती है। लेकिन आजकल इससे इतर चांडिल डैम का अधिकांश हिस्सा अंधेरे में ही रहती है। हमेशा सैलानियों से गुलजार रहने वाले चांडिल डैम में शाम होने से पहले ही सैलानी यहां से जाना ही मुनासिब समझते हैं। चांडिल डैम ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में आती है। यहां के जनता को स्थानीय विधायक से काफी उम्मीद है, क्योंकि विधायक सविता महतो जेएमएम के टिकट पर विधायक चुनी गई है, और राज्य में भी जेएमएम के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार है। लाइट की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां शाम होने से पहले ही सन्नाटा पसर जाता है। अंधेरा रहने के कारण लोगों के साथ अप्रिय घटना होने की संभावना बनी रहती है। चांडिल डैम के ऊपर जाने के रास्ते स्ट्रीट लाइट लगी तो है, लेकिन जलना राम भरोसे।
अब सवाल यह उठता है कि यह स्ट्रीट लाइट कब तक जलेगी, जिससे चांडिल डैम रोशन हो सके और आने वाले सैलानियों को सहूलियत हो सके। चाहे जिम्मेवारी किसी की भी हो।
अव्यवस्था –
नहीं जलती है अधिकांश स्ट्रीट लाइट।
सैलानियों के लिए बनी शौचालय भी कर्मचारी नहीं रहने के कारण अधिकांश समय रहती है बंद। शौच के लिए भटकते हैं सैलानी।
पीने की पानी की नहीं है कोई व्यवस्था।