अभिजीत सेन (संवादाता पोटका)
पोटका प्रखंड अंतर्गत कलिकापुर के मतकमडीह – गांव निवासी तारा भगत ने दिव्यांग पति- पुत्र के लिए पिछले 2 साल से कर रहे हैं स्वामी विवेकानंद भत्ता के लिए आवेदन मगर अब तक नहीं हो पाया पेंशन की स्वीकृति वही दो बर्षों से अपना टूटा हुआ घर के ऊपर त्रिपाल ढककर रहने को विवश हो रहा है तारा भगत का गरीब असहाय परिवार आवास के लिए भी कई बार आवेदन दिए मगर ऐसा है गरीब परिवार को आवास की भी नहीं मिली स्वीकृति।
पोटका प्रखंड अंतर्गत कालकापुर मतकमडिह गांव के तारा भगत ने बताया कि मेरे पति एवं पुत्र दोनों दिव्यांग है खेतों में एवं दूसरे जगह मजदूरी कर परिवार चलाने को विवश हो रही है, गरीब असहाय तारा भगत ने परिवार की गाड़ी को खींचते-खींचते आज थक चुकी हैं। कहती हैं मुझे किसी तरह का सरकारी सहायता नहीं मिल पा रहा है, मैंने अपने पति एवं पुत्र के दिव्यांग पेंशन के लिए आवेदन किए मगर आज 2 साल हो चुके हैं मगर दिव्यांग पेंशन की स्वीकृति नहीं मिल पाई है। साथ ही 2 वर्ष पहले तेज हवा आने के कारण मेरा घर का छत उड़ गया जिसके बाद आज 2 वर्षों से मेरा पूरा परिवार घर के ऊपर तिरपाल ढक कर रहने को विवश है। आवास के लिए कई बार आवेदन करने के बाद भी आवास नहीं बन पाया लॉक डाउन के दौरान रोजी-रोटी की भारी समस्या उत्पन्न हुई मगर किसी तरह मजदूरी कर परिवार को खींचती रही है।
मगर आज विवश हो चुकी है इनका कहना है कि गरीबों असहाय का सुनने वाला कोई नहीं है। मैंने कई बार मेरे पति एवं पुत्र के स्वामी विवेकानंद भत्ता के लिए आवेदन किए मगर अब तक स्वीकृति नहीं मिल पाया अब तो बारिश का सीजन भी आने वाली है पता नहीं इस साल क्या होगा त्रिपाल भी जर्जर हो चुका है तारा भगत इतना नहीं कमा पाती जिससे कि वह अपने परिवार की गाड़ी को अच्छी तरीके से चला सके तारा भगत आशा की किरण मन में जगा के बैठी हुई है कि एक न एक दिन तो मेरे दिव्यांग पति एवं पुत्र को पेंशन की स्वीकृति मिल पाएगी साथ ही मेरे परिवार का भी भविष्य बन पाएगा इसी आस में जी रही है. तारा भगत की परिवार।
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