जगन्नाथ चटर्जी (संवादाता चांडिल)
दिल्ली से 5 सदस्यों वाली वैज्ञानिकों की टीम चांडिल डैम पहुंची है।
चांडिल: चांडिल डैम के पिलर संख्या एक और दो में आई दरार की जांच करने शुक्रवार को दिल्ली से सीआरएमएस की टीम पहुंची और चांडिल डैम कि पीलर में आई दरारों की जांच किया। दिल्ली से आई सीआरएमएस की टीम के द्वारा पीलर में आई दरार की जांच करने को लेकर क्रेक मापने वाला यंत्र भी लगाया गया। किस यंत्र के द्वारा कितने दिन में पीलर की दरार कितनी बढ़ रही है, इसकी जांच किया जाएगा।
वर्ष 2018 में चांडिल डैम के पिलर में दरार आई थी।
चांडिल डैम में आई दरारों की जांच के लिए दिल्ली से 5 सदस्य वाले वैज्ञानिकों की टीम ने क्रेक मापक यंत्र लगाया है जिसमें क्रेक की नियमित जांच किया जाएगा और क्रिक से होने वाली नुकसान का भी पता लगाया जाएगा। वैज्ञानिकों की टीम ने पिलर में आई दरार को बारीकी से जांचा और यंत्र लगाया जिससे नियमित रूप से आई दरार की मॉनिटरिंग की जाएगी।
चांडिल डैम स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना राष्ट्रीय परियोजना में शामिल है। चांडिल डैम लगभग 1995 में बनकर तैयार हो गया था।जिसके कई वर्ष बाद चांडिल डैम के रेडियल गेट को लगाए गए। पांच सदस्यों वाला वैज्ञानिकों की टीम में डॉ आरपी पाठक, विपिन कुमार, उमेश कुमार, अनिल वशिष्ठ सहित इसके अलावा चांडिल डैम के कनीय अभियंता प्रदीप कुमार भी शामिल थे।