फणीभूषण टुडू (संवाददाता चांडिल)
चाण्डिल। आदिबासी कुड़मी समाज झारखण्ड का एक प्रतिनिधिमंडल राँची के सांसद संजय सेठ से रविवार को उनके कार्यालय में जाकर मुलाकात किये। उन्होंने सांसद को कुड़मियों की मातृभाषा कुड़मालि (KUDMALI) के लिए जनजातीय भाषा के तौर पर स्वतंत्र रुप से भाषा कोड लागू कराने को लेकर ज्ञापन सौंपा। सांसद संजय सेठ ने मामले की गंभीरता और महत्व को समझते हुए बात को उचित पटल तक पहुँचाकर यथोचित समाधान कराने का आश्वासन दिया है। संगठन द्वारा सांसद को कुड़माली संस्कृति का प्रतीक पीला गमछा ओढ़ाकर अभिवादन किया गया।
विदित हो कि उक्त माँग को लेकर संगठन विभिन्न माध्यमों से विगत एक साल से राज्य से लेकर केंद्र स्तर तक संघर्षरत है। ज्ञापन के अनुसार आगामी जनगणना में “कुड़माली” के स्थान पर पूर्ववत कुरमाली थार को ही यथावत रखा गया है, जबकि कुड़माली को अन्य के तहत रखा जा रहा है। जो भाषा राज्य के द्वितीय राजभाषा के रुप में दर्ज है, जिस भाषा का पठन पाठन राज्य के पाँच एवं प. बंगाल के एक समेत कुल छः विश्वविद्यालयों में होता है, के लिए यह बेहद ही पक्षपातपूर्ण एवं अन्यायपूर्ण है। यह लगभग 02 करोड़ से भी अधिक कुड़मालि भाषा-भाषी जनों के लिए बेहद ही निराशाजनक एवं विडंबनापूर्ण है। यह उन लाखों कुड़मालि छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ भी एक खिलवाड़ है। राज्य और केंद्र सरकार के नकारात्मक रवैये से समाज में व्यापक रोष उत्पन्न हुआ है। अगर 20 से 25 दिनों के भीतर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता है तो समाज आंदोलन के लिए बाध्य होगी।
प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष प्रसेनजीत महतो, महासचिव बैजनाथ महतो, उपाध्यक्ष निरंजन महतो, मनोज महतो, शंकरलाल महतो, टेकलाल महतो, शैलेश महतो, जगतपाल महतो, राजेश महतो, सिकंदर महतो, संतोष महतो, संदीप महतो, पप्पु महतो आदि शामिल रहे।