फणीभूषण टुडू (संवाददाता चांडिल)
डूब क्षेत्र में निर्माण कार्य प्रतिबंधित, 185 मीटर तक जायेगा सुवर्णरेखा का जलाशय, 2023 तक मिलेगा मुआवजा
”बचे हुए 5606 परिवाराें काे मार्च 2022 तक मिलेगी विकास पुस्तिका : सविता महताे”
चाण्डिल।ईचागढ़ की विधायक सविता महताे ने गुरूवार को सदन में सुवर्णरेखा परियाेजना से संबंधित मामला उठाते हुए मुआवजा संबंधी प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग की. विधायक सविता महताे ने तारांकित प्रश्न किया कि क्या लाेकहित में आरएल मीटर की बाध्यता काे समाप्त करते हुए चांडिल बांध से विस्थापित सभी ग्रामाें के लाेगाें काे मुआवजा भुगतान एवं अनुदान की राशि और सभी ग्रामाें में बुनियादी सुविधाओं एवं विकास कार्याें काे करने का विचार सरकार रखती है, हां ताे कब तक. इसके जवाब में संबधित विभाग के मंत्री ने लिखित जानकारी देते हुए बताया कि लाेकहित परियाेजना हित एवं राशि की उपलब्धता के आलाेक में चरणबद्ध रूप से जलाशय के जलस्तर काे बढ़ाते हुए विस्थापिताें काे क्रमबद्ध रूप से सभी मुआवजा का भुगतान किये जाने का कार्यक्रम है।
वर्तमान में प्रथम चरण में 183 मीटर के लेवल के विस्थापिताें काे पुनर्वास नीति के अंतर्गत सभी मुआवजा भुगतान पूर्ण करने का कार्यक्रम है. इसके पश्चात जलाशय का जलस्तर 185 मीटर तक ले जाने के फलस्वरूप मुआवजा का भुगतान मार्च 2023 तक करने लक्ष्य है. सविता महताे ने यह भी पूछा कि क्या यह बात सही है कि चांडिल बांध से विस्थापित कुल 116 ग्रामाें के विस्थापन के कारण राज्य याेजना-विधायक निधि याेजना के तहत काेई भी विकास कार्य सरकार द्वारा नहीं करने दिया जा रहा है. इसका जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि चांडिल जलाशय के रुपांकित क्षमता तक जल संग्रह के लिए डूब क्षेत्र में रहनेवाले परिवाराें काे निर्धारित मुआवजा देकर अन्य स्थलाें पर आवासित किया जा रहा है. डूब क्षेत्र में पानी जमा हाेने पर इस क्षेत्र में कराये गये कार्य की उपयाेगिता समाप्त हाे जायेगी. डूब क्षेत्र में काेई निर्माण कार्य नहीं किया जाना चाहिए।
विधायक सविता महताे के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि चांडिल बांध से प्रभावित 116 ग्रामाें के भू-अर्जन में घाेषित पंचाट के आधार पर कुल 19115 परिवार चिन्हित करते हुए उनमें से 13509 परिवाराें काे विकास पुस्तिका उपलब्ध करा दी गयी है। बाकी बचे 5606 परिवाराें काे कार्य याेजना तैयार कर सुवर्णरेखा परियाेजना अंतर्गत गठित विकास पुस्तिका निर्गमन समिति द्वारा मार्च 2022 तक पूर्ण कर ने का लक्ष्य रखा गया है। पुनरीक्षित पुनर्वास नीति 2012 में वर्णित प्रावधान के अनुसार प्रभावित विस्थापिताें काे पुनर्वास की सुविधायें मुहैया करायी जाती हैं।