प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बंगाल की खाडी को संपर्क, समृद्धि और सुरक्षा सेतु बनाने का आहवान किया है। उन्होंने कहा कि विश्व के मौजूदा परिदृश्य में क्षेत्रीय सहयोग सबसे बडी प्राथमिकता बन गया है।
बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाडी से लगे देशों के संगठन- बिम्स्टेक के शिखर सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित करते हुए आज प्रधानमंत्री ने कहा कि यूरोप के हाल के घटनाक्रम ने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के स्थायित्व को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बिम्स्टेक क्षेत्रीय सहयोग को और अधिक सक्रिय करना महत्वपूर्ण हो गया है। मोदी ने कहा कि यह क्षेत्र वर्तमान वैश्विक चुनौतियों से अछूता नहीं रह सकता।
मोदी ने कहा कि बिम्स्टेक समूह की संस्थागत रूपरेखा मजबूत करने के लिए इसका चार्टर अपनाया जा रहा है। संगठन की स्थापना का यह 25वां वर्ष है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन के परिणाम बिम्स्टेक के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय लिखेंगे।
Speaking at the BIMSTEC Summit. https://t.co/6ffhno70HR
— Narendra Modi (@narendramodi) March 30, 2022
प्रधानमंत्री ने बिम्सटेक सचिवालय की क्षमता बढाने पर बल दिया, ताकि यह सबकी अपेक्षाएं पूरी कर सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्य योजना तय की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस सचिवालय का संस्थागत बजट बढाने के लिए दस लाख डॉलर की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगा।
मोदी ने कहा कि व्यापार बढाने के लिए बिम्सटेक मुक्त व्यापार समझौते के प्रस्ताव पर जल्दी प्रगति होनी चाहिए। बिम्सटेक देशों के उद्यमियों और स्टार्टअप के बीच आदान-प्रदान बढना चाहिए और व्यापार सुविधा के लिए अंतर्राष्ट्रीय नियम अपनाए जाने चाहिए।
मोदी और अन्य नेताओं की वर्चुअल उपस्थिति में तीन बिम्सटेक समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। ये समझौते आपराधिक मामलों में परस्पर कानूनी सहयोग, राजनयिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग और बिम्सटेक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केन्द्र की स्थापना संबंधी सहयोग के बारे में हैं।
सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि वे श्रीलंका की मेजबानी में आयोजित पांचवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेकर प्रसन्न हैं। उन्होंने कहा कि बिम्सटेक सहयोग बढाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले किये गये हैं। उन्होंने श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिन्दा राजपक्से के समर्थ नेतृत्व की सराहना की और संगठन के भावी अध्यक्ष थाईलैण्ड के प्रधानमंत्री प्रयूत चान ओ चा को शुभकामनाएं दीं।
बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय में बिम्सटेक मामलों के अतिरिक्त सचिव रूद्रेन्द्र टंडन ने कहा कि कोलंबो में चार्टर पर हस्ताक्षर से बिम्सटेक, एक प्रतीक चिन्ह और ध्वज के साथ अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में पुनर्गठित होगा। टंडन ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन की प्रमुख उपलब्धि रही। उन्होंने कहा कि बिम्सटेक सहयोग गतिविधियां सात सदस्य देशों के मजबूत स्तम्भों से संचालित होंगी। भारत सुरक्षा स्तम्भ का नेतृत्व करेगा। टंडन ने कहा कि परिवहन सम्पर्क के लिए मास्टर प्लान पर सहमति सम्मेलन की एक और प्रमुख उपलब्धि थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में संगठन को सुदृढ करने और चार्टर पर हस्ताक्षर के बाद कार्यों में गति लाने पर बल दिया।
1997 में स्थापित बिम्सटेक एक क्षेत्रीय संगठन है। भारत ,बंगलादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमा और थाईलैण्ड इसके सदस्य देश हैं।