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November 21, 2024
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क्या सिर्फ सांत्वना से मजदूरों की मजबूरी दूर कर पाएगी सरकार!

अभिजीत सेन (संवाददाता पोटका)

मजदूरों को और कितना मजबूर किया जाएगा?

पोटका पुटलूपुंग: “हमें रोजगार चाहिए” यह कहना है प्रवासी मजदूरों का जो लॉकडाउन में उड़ीसा के तितलागढ़ में एलएनटी कंपनी में कार्य कर रहे थे अब बेरोजगार बैठे हुए हैं। लॉकडाउन में घर वापस होने के बाद अब तक रोजगार से नहीं जोड़ा गया जिसके कारण यह मजदूर काफी चिंतित है।

आपको बता दें कि कोरोना वायरस के कारण जब देश में अचानक लॉकडाउन लग गया था और मजदूरों में अफरा-तफरी का माहौल था, जिसके बाद मजदूर सैकड़ों हजारों किलोमीटर पैदल चलकर अपने गंतव्य स्थान तक लौटने लगे इस बीच पोटका के पुटलूपुंग में भी उड़ीसा के तितलागढ़ में काम कर रहे एक दर्जन से ज्यादा मजदूर गांव पैदल लौटे, लौटने के बाद 1 महीने तक  उन्हें गांव के ही स्कूल में क्वारंटाइन किया गया था गाँव के बाहर उन्हें स्कूल में ठहरा दिया गया ,इसके बाद उन्हें आश्वासन दी गई थी के गांव में ही रोजगार मिल पाएगा, इसी आशा में आज मजदूर आंखें बिछाए बैठा है कि इन्हें रोजगार गांव में ही मिल पाएगा जिससे वे अपने गांव में रहकर ही रोजी रोजगार कर अपने परिवार का भरण पोषण कर पाएंगे, मगर आज घर लौटे महीनों बीत चुके हैं मगर इन्हें रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया जिसके कारण इन प्रवासी मजदूरों की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है।

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