मझगाँव: आखिरकार बिजली कंपनी का काम करने का यह कैसा सिस्टम है कि जिस गांव में दस साल से बिजली नहीं था, उस गांव के ग्रामीणों को कंपनी ने चार से पाँच हजार रुपये का बिजली विपत्र भेज दिया। इससे साफ ऐसा प्रतित होता है कि बिजली कंपनी के अधिकारी से लेकर कर्मी तक आंखे मुंद कर कार्य करते हैं, तभी तो जिस गांव के लोगों को बिजली बिल थमा दिया गया है, उस गांव के लोगों ने दस सालों से बिजली जलते तक नहीं देखा है। बात यही पर नहीं रुकी, इससे ग्रामीण परेशान हो गये और इसकी शिकायत कुमारडुँगी डीबीसी के अधिकारियों को लिखित आवेदन देते हुए इसमें सुधार कराने की मांग की। फिर भी बिल रुकने के बजाय पुन: दोबारा राशि भुगतान करने के लिए विपत्र थमा दिया गया।
यह मामला है कुमारडुँगी प्रखंड क्षेत्र अन्तर्गत उंडुन्दा गाँव के टोला टंकुगुटु व गितिलपी का, जहां के बीपीएल धारक करीब 33 ग्रामीणों को बिजली कंपनी ने बिजली जलाये जाने को लेकर चार से पांच हजार रुपये का विपत्र दे दिया । उडुन्दा के टोला टंकुगुटु व गितिलपी के करीब 35 परिवारों का कहना है कि दस पूर्व बिजली आने से गाँव बिजली से जगमग कर रहा था लेकिन 16 केबी 2011 में खराब होने से अब हम डिबरी युग में जी रहे हैं ।