अभिजीत सेन (संवाददाता पोटका)
झारखंड: पोटका प्रखंड अंतर्गत महाली साई गांव का बांस की वस्तुएं बनाकर बेचने वाले परिवारों के लिए लॉकडाउन काफी संकट भरा रहा। बाजार बंद होने से अपनी बांस से तैयार सामानों को नहीं बेच पाए वहीं दूसरी ओर अब कुछ-कुछ बाजार सोशल डिस्टेंस के साथ खुलने लगे हैं मगर इनकी मेहनत के अनुसार उनके वस्तुओं का मूल्य नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण यह परिवार काफी चिंतित है।
आपको बता दे कि पोटका में कई गांव ऐसे हैं जहां रहने वाले हरिजन परिवार बांस की वस्तुएं बना कर जैसे टोकरी, कुर्ला, खाकी, डिलि आदि से अपना जीवन यापन करते हैं मगर लॉक डाउन होते ही सारे बाजार बंद हो गए साथ ही साथ रोजगार के साधन बंद हो गए जिसके कारण इन परिवारों की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है। वहीं अब कुछ-कुछ बाजार शर्तों पर खुलने लगे हैं इसका भी प्रभाव इन पर पड़ रहा है,क्योंकि 30 से 40 किलोमीटर दूर से बाँस लाते हैं उससे बांस से निर्मित विभिन्न वस्तुओं बनाकर बाजार बेचते हैं और मेहनत के अनुसार इनको मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण यह परिवार काफी चिंतित है इनका कहना है कि सरकार की ओर से हमें रोजगार के प्रशिक्षण नहीं दिए गए पारंपरिक तरीके से ही हम लोग बना रहे हैं, जिसके कारण संकट के इस घड़ी में अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं।