अभिजीत सेन (संवादाता पोटका)
पोटका प्रखंड अंतर्गत – हेसड़ा पंचायत के हेसड़ा गांव से जुड़ी पहाड़ी जाने वाला रूट पर स्थित झरना में जल संरक्षण कर एक दर्जन किसान कई एकड़ जमीन में सब्जी उगाकर लाखों कमा रहे हैं साथ ही मत्स्य पालन एवं बत्तख पालन कर स्वावलंबी बन रहे हैं. हेसड़ा के ग्राम प्रधान राम रंजन प्रधान का कहना है कि इस पारंपरिक जल स्रोत से सालों भर पानी बहता रहता है जिसके कारण तपती गर्मी के समय आसपास के 8-10 किलोमीटर दूर से विभिन्न गांव के लोग गर्मी में झरने से निकलता हुआ पानी मैं नहाने आते हैं एवं इसी जल से लगभग एक दर्जन किसान साग – सब्जी एवं फसल उगा कर लाखों कमा रहे हैं
इस पानी को तपती गर्मी मैं लोगों द्वारा पेयजल जल का रूप में भी व्यवहार किया जाता है इस झरने का पानी कभी सूखता नहीं है की किसान द्वारा पंप मशीन लगाकर दिन-रात गर्मी में भी सिंचाई कर रहे हैं इसके बाद भी यह पानी कभी सूखता नहीं ग्रामीण स्वयं इसकी देखरेख करते हैं एवं ग्रामीणों ने स्वयं मिट्टी – पत्थर लगाकर डैम का निर्माण किए हैं इससे जल संचय कर सब्जी की खेती ऊगाकर समृद्ध हो रहे हैं वही कोकिल दास जो किसान है उनका कहना है कि इस जलती गर्मी में भी इस झरने के जल से हम लोग सब्जी की खेती कर रहे हैं और अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं मगर इन जल स्रोतों का साफ सफाई नहीं हो पा रहा है झरना के जल स्रोतों का यदि जीर्णोद्धार हो जाए तो बड़े ही पैमाने पर बतख पालन, मत्स्य पालन किया जा सकता है
“व्यक्त किए गए और लिखे गए विचार अथवा खबर पत्रकार के स्वयं के हैं। आजाद खबर द्वारा हूबहू खबर को छापी गई है।”